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मेंथि कान् झली

ये तो सिर्फ़ एक तस्वीर नहीं… ये तो एक सांस है! क्या मैंने कहा? मुझे कैमरा नहींचाहिए… मुझे शांतिचाहिए। हर पिक्चर में हवा का सांस है — प्रत्येक ‘फ्रेम’ पुरानी याद का सफर है। कल्चर के पुरखम में ‘एक्शन’? हमेशन! 🌿

बहुत से ‘अचल’ पड़ते हैं… पर मैंने तो खामोशी (silence) को ‘एक्शन’ मान लिया। 😌

जब मैंने पहली बार ‘इमेज’ को ‘फटफ’ (GIF) समझा… पगड़ !

अबतकि - ‘आँखों की खामोशी’ ?

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